संस्थान के संस्थापक
पूज्य पं. अनमोल जी का जीवन परिचय
प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक जागृति
पूज्य पं. अनमोल जी का जन्म एक धार्मिक और संस्कारित परिवार में हुआ, जहाँ प्रारंभ से ही उन्हें वैदिक शिक्षा और आध्यात्मिक वातावरण प्राप्त हुआ।
बाल्यकाल से ही वे श्रीमद्भागवत, रामायण, वेद और उपनिषदों के अध्ययन में रुचि रखते थे। उनकी विलक्षण स्मरण शक्ति और धर्म के प्रति गहरी श्रद्धा ने उन्हें अल्पायु में ही वेदों और पुराणों का विद्वान बना दिया।
गुरुकुल शिक्षा और साधना
पूज्य पं. अनमोल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक पारंपरिक गुरुकुल में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने संस्कृत, वेद, शास्त्र, ज्योतिष, योग और अन्य वैदिक विधाओं का गहन अध्ययन किया।
उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत अनेक महान संतों और आचार्यों से शिक्षा प्राप्त की। उनकी साधना और भक्ति भावना इतनी गहरी थी कि युवावस्था में ही वे श्रीमद्भागवत कथा, वेदांत और दर्शनशास्त्र में निपुण हो गए।
सनातन धर्म के प्रचार में योगदान
पूज्य पं. अनमोल जी ने अपने जीवन का उद्देश्य सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और लोगों को आध्यात्मिक जागृति की ओर प्रेरित करना बनाया।
उन्होंने देशभर में भागवत कथा, रामकथा, वेदांत प्रवचन, संकीर्तन और अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। उनकी वाणी में इतनी ओजस्विता और मधुरता है कि वेदों और पुराणों की गूढ़ बातें भी वे सहजता से जनमानस तक पहुँचा देते हैं।
अनमोल गुरुकुलम् की स्थापना
सनातन धर्म की शिक्षा को पुनर्जीवित करने और वैदिक परंपरा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पूज्य पं. अनमोल ने अनमोल गुरुकुलम् की स्थापना की।
इन संस्थानों के माध्यम से वे शास्त्रों की शिक्षा देने, विद्वान कथावाचकों को तैयार करने और सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।
यहाँ पर विद्यार्थियों को न केवल धार्मिक शिक्षा दी जाती है, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग भी दिखाया जाता है।
विशेषताएँ और प्रेरणा स्रोत
- संस्कृति एवं धर्म रक्षा – उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए अनेक अभियान चलाए।
- युवा पीढ़ी के मार्गदर्शक – आज के युवाओं को धर्म और नैतिकता से जोड़ने के लिए वे विशेष रूप से प्रयासरत रहते हैं।
- अखंड साधना और गुरु भक्ति – वे गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को समझाते हुए निरंतर भक्ति और साधना में लीन रहते हैं।
- भागवत प्रेम और भक्ति संदेश – उनकी कथाओं और प्रवचनों में श्रीमद्भागवत की विशेष झलक देखने को मिलती है।
निष्कर्ष
पूज्य पं. अनमोल जी केवल एक प्रवचनकर्ता ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के संरक्षक और लाखों लोगों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं।
उनके द्वारा स्थापित गुरुकुल और संस्थान आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान, भक्ति और धर्म का दिव्य स्रोत हैं। उनका जीवन प्रेरणा का स्तंभ है, जो हमें सनातन धर्म की महानता और सेवा भावना का संदेश देता है।